विनोद जी नमस्कार,
आज दोपहर को मुझे राजीव जी के व्याख्यानों की सीडियाँ प्राप्त हुईं | इस अनमोल उपहार को देने के लिए बहुत - बहुत धन्यवाद |
मुझको उम्मीद थी कि उनके व्याख्यानों के साथ उनके जीवन पर आधारित एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म भी होगी, परन्तु ऐसा नहीं है इसलिए मेरे सुझाव है कि उनके जीवन पर आधारित एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म बनवाई जानी चाहिए तथा जगह - जगह उसका प्रदर्शन करवाना चाहिए, जब देश के आधिकाधिक लोग उनसे एवं उनके द्वारा किये गए कार्यों से परिचित होंगे तभी लोग उनके विचारों को जानने के लिए उत्सुक होंगे |
मैं राजीव जी द्वारा दिए गए प्रत्येक विषय के भाषण को सुनने का आकांक्षी हूँ | कुछ दिनों पहले मैंने संस्कार चैनल में राजीव जी द्वारा 'हमारी ऐतिहासिक भूलें' विषय पर तथा हिंदी भाषा के महत्व पर दिए गए भाषण सुना था जोकि इन सीडियों पर नहीं हैं, अतः मेरा निवेदन है की राजीव जी के भाषणों की सीडियों के सेट में उपरोक्त विषयों के भाषणों को भी सम्मिलित करें तथा राजीव जी के द्वारा दिए गए अलग -अलग विषयों के भाषणों में जो भी आपके पास उपलब्ध हों उन्हें मुझ तक पहुँचाने का प्रयास करें |
मेरा मानना है की राजीव जी एवं स्वदेशी विचार के प्रेरक हमारे अनेकों राष्ट्रभक्तों के विचारों को हम तब तक पूरी तरह से आत्मसात नहीं कर सकते जबतक उनके एक प्रमुख सूत्र को नहीं अपना लेते, और वह सूत्र है हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी का विकास | वर्तमान में स्थिति यह है की यदि किसी से हिंदी नहीं बनती है तो कोई दिक्कत नहीं है, जबकि यदि किसी से अंग्रेजी नहीं बनती है तो उसके लिए यह शर्म की बात मानी जाती है | ऐसा क्यों है की हम जिस भाषा को सुनकर और बोलकर बड़े होते हैं कुछ समय बाद उसको बोलने में शर्म महसूस करते है , ऐसा मैं सिर्फ हिंदी के लिए नहीं बल्कि सभी भारतीय भाषाओँ के लिए लिख रहा हूँ | जिस भाषा को गैर हिंदी राज्य से आये एवं कई भाषाओँ के जानकार भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने राष्ट्रभाषा तथा देश-देश घूमे एवं बहुभाषाविद राहुल सांकृत्यायन ने श्रेष्ठ भाषा कहा है वही हिंदी भाषा आज अंग्रेजी की गुलामी कर रही है|
मेरे मानना है की स्वदेशी आन्दोलन की प्रेरणा देने वाले संगठन के नाम में यदि अंग्रेजी शब्द है तो वह उतना प्रभावोत्पादक नहीं हो सकता जितना की हिंदी अथवा किसी अन्य भारतीय भाषाओँ के शब्द प्रभावी हो सकते हैं | निश्चित ही आप राजीव जी के विचारों को जन - जन तक पहुँचाने का श्रेष्ठतम कार्य कर रहे हैं , परन्तु हिंदी के विकास के लिए आप कुछ हद तक उदासीन भी हैं | यह मेरे अपना दृष्टिकोण है , निश्चित ही आपका नजरिया कुछ अलग होगा , इसलिए मेरी बात यदि गलत हो तो मुझे ज़रूर बताइयेगा |
जय हिंद
उतर
प्रिये देवांशु जी,
आप के हिंदी भाषा से प्रेम तथा इस के विकास की बात सुन कर खुशी हुई , में भी आप के नजरिये से बिलकुल सहमत हूँ , मैं हिंदी के विकास में उदासीन नहीं हूँ इस का एक प्रमाण यही है के आप के इस हिंदी में लिखे सूजाव को मैने अपने वेब साईट के मुख्य प्रष्ट पर बिना किसी परिवर्तन के प्रकाशित किया है जो समस्त विश्व के सबी उन लोगों दुआरा प्राप्त किये जेए गए जो इस के श्रोता है , चाहे वे भारत में है चाहे वेह भारत के बाहर |
आज दोपहर को मुझे राजीव जी के व्याख्यानों की सीडियाँ प्राप्त हुईं | इस अनमोल उपहार को देने के लिए बहुत - बहुत धन्यवाद |
मुझको उम्मीद थी कि उनके व्याख्यानों के साथ उनके जीवन पर आधारित एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म भी होगी, परन्तु ऐसा नहीं है इसलिए मेरे सुझाव है कि उनके जीवन पर आधारित एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म बनवाई जानी चाहिए तथा जगह - जगह उसका प्रदर्शन करवाना चाहिए, जब देश के आधिकाधिक लोग उनसे एवं उनके द्वारा किये गए कार्यों से परिचित होंगे तभी लोग उनके विचारों को जानने के लिए उत्सुक होंगे |
मैं राजीव जी द्वारा दिए गए प्रत्येक विषय के भाषण को सुनने का आकांक्षी हूँ | कुछ दिनों पहले मैंने संस्कार चैनल में राजीव जी द्वारा 'हमारी ऐतिहासिक भूलें' विषय पर तथा हिंदी भाषा के महत्व पर दिए गए भाषण सुना था जोकि इन सीडियों पर नहीं हैं, अतः मेरा निवेदन है की राजीव जी के भाषणों की सीडियों के सेट में उपरोक्त विषयों के भाषणों को भी सम्मिलित करें तथा राजीव जी के द्वारा दिए गए अलग -अलग विषयों के भाषणों में जो भी आपके पास उपलब्ध हों उन्हें मुझ तक पहुँचाने का प्रयास करें |
मेरा मानना है की राजीव जी एवं स्वदेशी विचार के प्रेरक हमारे अनेकों राष्ट्रभक्तों के विचारों को हम तब तक पूरी तरह से आत्मसात नहीं कर सकते जबतक उनके एक प्रमुख सूत्र को नहीं अपना लेते, और वह सूत्र है हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी का विकास | वर्तमान में स्थिति यह है की यदि किसी से हिंदी नहीं बनती है तो कोई दिक्कत नहीं है, जबकि यदि किसी से अंग्रेजी नहीं बनती है तो उसके लिए यह शर्म की बात मानी जाती है | ऐसा क्यों है की हम जिस भाषा को सुनकर और बोलकर बड़े होते हैं कुछ समय बाद उसको बोलने में शर्म महसूस करते है , ऐसा मैं सिर्फ हिंदी के लिए नहीं बल्कि सभी भारतीय भाषाओँ के लिए लिख रहा हूँ | जिस भाषा को गैर हिंदी राज्य से आये एवं कई भाषाओँ के जानकार भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने राष्ट्रभाषा तथा देश-देश घूमे एवं बहुभाषाविद राहुल सांकृत्यायन ने श्रेष्ठ भाषा कहा है वही हिंदी भाषा आज अंग्रेजी की गुलामी कर रही है|
मेरे मानना है की स्वदेशी आन्दोलन की प्रेरणा देने वाले संगठन के नाम में यदि अंग्रेजी शब्द है तो वह उतना प्रभावोत्पादक नहीं हो सकता जितना की हिंदी अथवा किसी अन्य भारतीय भाषाओँ के शब्द प्रभावी हो सकते हैं | निश्चित ही आप राजीव जी के विचारों को जन - जन तक पहुँचाने का श्रेष्ठतम कार्य कर रहे हैं , परन्तु हिंदी के विकास के लिए आप कुछ हद तक उदासीन भी हैं | यह मेरे अपना दृष्टिकोण है , निश्चित ही आपका नजरिया कुछ अलग होगा , इसलिए मेरी बात यदि गलत हो तो मुझे ज़रूर बताइयेगा |
जय हिंद
उतर
प्रिये देवांशु जी,
आप के हिंदी भाषा से प्रेम तथा इस के विकास की बात सुन कर खुशी हुई , में भी आप के नजरिये से बिलकुल सहमत हूँ , मैं हिंदी के विकास में उदासीन नहीं हूँ इस का एक प्रमाण यही है के आप के इस हिंदी में लिखे सूजाव को मैने अपने वेब साईट के मुख्य प्रष्ट पर बिना किसी परिवर्तन के प्रकाशित किया है जो समस्त विश्व के सबी उन लोगों दुआरा प्राप्त किये जेए गए जो इस के श्रोता है , चाहे वे भारत में है चाहे वेह भारत के बाहर |
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