एक वक्त था जब करगिल का युद्ध हो रहा था उस समय देश के लिए गल्फ देशो में रह रहे लोगों ने ४०० करोड़ रूपये सिर्फ ७ दिनों में भारत सरकार को दिए थे | तब समस्या देश की सीमाओं की रक्षा की थी , ओर अब समस्या देश के अंदर के दुश्मनों की हैं जो भारत को आर्थिक रूप से कमजोर करना चाहते हैं, एक राजीव दीक्षित आये उन विदेशी कपनी रूपी दुश्मनों की पोल खोलना शुरू की, पर भाग्य को कुछ ओर ही मंजूर था, पर हम उनके बताए मार्ग को भूले नहीं हैं तथा इस बुजती हुई ज्वाला को हमने १०० से ज्यादा भारत के विभिन् राज्यों के कार्यकर्ताओं तथा देश भगतों को राजीव दीक्षित के सभी देश भगती के विचारों भेज कर नए जोश से जलाने की कोशिश की हैं तथा भारत के दुश्मनों को भारत से निकलने के लिए जन जन तक राजीव दीक्षित के विचोरों को पहुँचाने की जिमेवारी ली | और एक बार फिर भारत के देश भगतों ने इस यज में आहुति डालना शुरू कर दिया है | यहाँ मैं इस का एक उदाहरण दे रहा हूँ |
आज दोपहर को मैंने आपके खाते में 3000 रुपये जमा करा दिए हैं, कृपया आप अपने खाते को चेक कीजिये और रुपये मिल जाने की खबर मुझको दीजिये | इस समय मैं एक नया डिजिटल कैमरा खरीदने के लिए रुपये जोड़ रहा था परन्तु मैंने महसूस किया की आप एक बहुत ही अच्छा कार्य कर रहे हैं, इसलिए मैंने कैमरा खरीदने की योजना को स्थगित करते हुए आपका सहयोग करने का निर्णय लिया |
मैंने गुरुदत्त जी की संक्षिप्त जीवनी पढ़ी और भगत सिंह के गुरु के बारे में जानकर मुझे अच्छा लगा | मैं चाहता हूँ की 2000 रुपयों का प्रयोग आप इस आन्दोलन के कार्य में करें तथा 1000 रुपयों की आप मुझको गुरुदत्त जी द्वारा लिखी गईं महत्वपूर्ण पुस्तकें एवं आपके पास उपलब्ध सभी स्वतंत्रता संग्रामी महापुरुषों की जीवनियाँ (राजीव दीक्षित की जीवनी सहित ) भेज दें |
परसों रात्रि को मैंने आपको एक मेल किया था जिसका आपने प्रतिउत्तर नहीं दिया जबकि मुझे उस वक्त आपकी सहायता की आवश्यकता थी हालाकि मैंने अथक प्रयास से राजीव जी के बारे में आधिकाधिक जानकारी प्राप्त कर के उनकी जीवनी तैयार करके विद्यालय की वार्षिक पत्रिका में प्रकाशित करने के लिए दे दी है परन्तु यदि आप कुछ सहायता करते तो और भी अच्छा रहता | उम्मीद है आप जल्द ही इस मेल का प्रतिउत्तर देंगे |
Reviews